

सरदारशहर से किसान हित के लिए मनफूल रूहील की रिपोर्ट
सरदारशहर। जिस रेतीली धरती पर सामान्य पौधे भी आसानी से नहीं उग पाते है, उसी धोरों की धरा पर गांव कालूसर के इमरान खान ने खजूर, आम, अंगूर सहित कई फलदार पौधों का बगीचा विकसित कर रखा है। प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करने वाले इमरान बागबानी का भी शौंक रखते है। वहीं इसी शौंक को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने घर की खाली जमीन पर वर्षों की मेहनत से कई फलदार पौधें तैयार किए है, जो अभी फलों से लदे हुए है। इमरान ने बताया कि वे पहले सऊदी अरब में मजदूरी करते थे। वहां रहने के दौरान कई बार वहां की बरही किस्म के खजूर खाए, जो खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होते है। 1998 में घर लौटने के बाद यही पर काम करने लगा तथा बागवानी के शौंक के चलते घर की खाली जमीन पर फलदार पौधों को विकसित करने का मन बनाया। 1998 में बीकानेर की एक फर्म से 20 खजूर के पौधे 330 रुपए प्रति नग के हिसाब से खरीदे तथा उन्हें खाली जमीन पर लगाकर बागवानी शुरू की। इनमें से 10 पौधे विकसित नहीं हो पाए तथा 10 पौधे वर्ष 2005 से लगातार फल दे रहे है, जिनसे प्रतिवर्ष करीब छह क्विंटल खजूर की उपज हो रही है। इसके बाद इमरान ने अपने बगीचे में अन्य फलदार पौधों को विकसित करने का मन बनाया, अब उनके बगीचे में आम, अंगूर, नींबू, किन्नू, अनार सहित अन्य पौधें फलों से लदे हुए है।
हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर से मंगवाई मिट्टी, वर्षा के पानी से सींचा बगीचा

इमरान ने बताया कि रेतीली धरती पर बगीचा विकसित करने के लिए उन्हें कई प्रकार की परेशानी का सामना भी करना पड़ा। बालू मिट्टी में फलदार पौधें आसानी से नहीं लग पाते है, ऐसे में हनुमानगढ़-श्रीगंगागनर से करीब 10 ट्रोली काली मिट्टी मंगवाकर उसमें पौधे लगाए गए। इसके अलावा हमारे यहां के पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने के कारण फलदार पौधों के नष्ट होने का डर था। ऐसे में इनमें बारिश का पानी देने के लिए उसे संग्रहित करने के लिए कुंड का निर्माण करवाया। फलदार पौधों में बारिश का संग्रहित किया गया पानी ही देते है। इसके अलावा रासायनिक खाद्य की जगह गोबर सहित अन्य देशी खाद्य का उपयोग करते है।


Pawan: Good knowledge...